Saturday, April 22, 2017

शतावर की खेती


किसान भाइयो शतावर की खेती 18 माह की खेती है । शतावरी के पौधे से जड़ो को प्राप्त किया जाता है तथा शतावरी की सुखी जड़ो का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है । शतावर का अर्थ है 100 रोगों को हरने वाला या दूर करने वाला । किसान भाइयो आप अपने परम्परागत फसलो के साथ कुछ भूमि में औषधीय फसलो को कर सकते है जिसमे शतावरी एक औषधीय फसल है ।
किसान भाइयो शतावर की मांग बर्तमान समय में काफी है । आप शतावरी को कर के अच्छा मुनाफा कमा सकते हो ।

शतावरी की किस्मे 
शतावरी की भारत में दो प्रकार की किस्मे है ।
1- नेपाली शतावरी

2- इंडियन शतावरी 

किसान भाइयो यहाँ आप देख रहे है । दो किस्म की शतावरी है जिसमे पहली फोटो वाला शतावरी पौधा खड़ा हुआ है जो कि नेपाली शतावरी का है । और दूसरी फोटो में शतावरी का पौधा जमीन पर लेटा या बिछा हुआ है । इसको इंडियन शतावरी कहते है । बाजार में नेपाली शतावरी का भाव उच्च होता है ।

शतावरी लगाने का तरीका
शतावरी को दो तरह से लगाया जाता है ।
1- शतावरी सीड से 
शतावरी सीड को लेकर नर्सरी तैयार की जाती है । नर्सरी जब 4 से 5 माह की हो जाये तो उसको खुले खेत में शतावरी पौधों को लगा दिया जाता है ।
2- शतावरी पौधों द्वारा
शतावर के पौधों को खरीद कर भी खेत में लगाया जा सकता है । 

शतावरी लगाने का समय 
शतावरी लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त तक का होता है । आप शतावरी पौधों को नीचे दिए गए फोटो की सहायता से ऐसे ही खेत में नालिया बना कर नालियो के ऊपर लगाया जाता है ।
किसान भाइयो सबसे पहले खेत तैयार करते समय 3 से 5 ट्रॉली देशी खाद एक एकर में डाल कर जुताई करा दी जाती है । मिट्टी को भुरभुरा करने के बाद खेत में नालिया बना दी जाती है । जिसके ऊपर शतावरी पौधों को लगाया जाता है ।

नराई तथा सिंचाई 
शतावरी में कम पानी कम आबश्यक्ता होती है । शतावरी पानी जरुरत के हिसाब से लगाया जाता है । जब भी शतावर में घास हो जाये तो समय पर शतावरी की नराई कर देनी चाहिए और शतावर के पौधों के आस पास मिट्टी को भुरभुरा कर देना चाहिए जिससे जड़ो का फैलाब सही हो।

उर्बरक तथा कीटनाशक का उपयोग
शतावरी में उर्बरक का प्रयोग नराई के बाद किया जाता है । शतावरी में NPK , URIA , DAP का उपयोग कर सकते है । शतावरी में बैसे तो कोई जायदा रोग तो नही लगते है । सूंडी दिखाई देने पर कीटनाशक का उपयोग किया जाता है ।

उत्पादन या उपज
18 माह बाद शतावरी को मार्च से अप्रैल माह में प्रोसेस किया जाता है । एक एकर में गीली जड़ 100 कुंतल से 130 कुंतल प्राप्त किया जाता है । प्रोसेस के बाद सुखी जड़े एक एकर में 15 से 20 कुन्तल तक प्राप्त हो जाती है । सुखी जड़ो को बाजार में ले जा कर बेचा जाता है ।

शतावर पौध तथा सीड आपको हमसे प्राप्त हो जायेगा ।

अधिक जानकारी के लिये संपर्क करे ।
अजित प्रताप सिंह
मो. 9557775551 , 7017092293
ईमेल - ajitprtapsingh@gmail.com

2 comments:

  1. Urgent need Female for egg donation with the sum of $500,000.00,whatsapp +91 9945317569
    Email: jainhospitalcare@gmail.com

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